Wednesday, May 25, 2016

सरकार तब और अब

मैंने बचपन से लेकर अब तक कई सरकारों के कार्यकाल देखें है | समाचार पत्र व विपक्ष सरकार की गलतियां ढूंढने में अपनी बौद्धिक शक्ति का प्रयोग करते रहे हैं | कोई कमी मिल जाती तो बड़ा मुद्दा बनाकर ऐतिहासिक फैसलों को भुलाने का प्रयास करते थे | चुनावों के समय हर बार कोई नया जुमला तैयार करते और करीब दस दस वर्ष बाद सफल भी होते रहे हैं |
      अब समय बदल गया है, ये तथाकथित बुद्धिजीवी वर्तमान सरकार की अच्छाइयां ढूंढने में लगे हुए हैं | अगर कोई अच्छाई मिल जाये तो बढा चढाकर प्रचार करने में लग जाते हैं |
      यदि कोई सरकार की आलोचना करने का दुःसाहस कर भी ले तो उसे देशद्रोही, धर्म विरोधी आदि का प्रमाण पत्र देने वाले हर गली नुक्कड पर तैयार खड़े हैं |
      जहाँ तक विकास की बात है, हर कोई अपने बचपन और वर्तमान की परिस्थितियों, सामाजिक आर्थिक स्थिति की तुलना सहज ही कर सकता है | जो छोटे हैं वे दस बारह वर्ष पूर्व व वर्तमान सुविधाओं से तुलना कर सकता है | वैसे अपने जमाने की बात हर कोई कर लेता है, लेकिन सरकारों को श्रेय देने में कंजूसी करता है | हमारे नैतिक चरित्र का पतन अवश्य हो गया है | पहले हम हमारे महान नेताओं की अच्छाइयों का बखान करते थे और अब उनकी बुराइयां ढूंढने में लगे हुए हैं | आने वाली पीढियों को प्रेरणा लेने के लिए कोई बचेगा ही नहीं |

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